How is EMF Generated

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How is EMF Generated-

EMF उत्पादन करने की विधिया (Methods of producing EMF) -

वि०वा०बल को निम्न तीन विधियों से किसी एक विधी का प्रयोग करके उत्पन्न किया जा सकता है ये तीन विधियां निम्न है-

(1) रासायनिक क्रिया द्वारा (By chemical reaction) - जैसे प्राथमिक एवं द्वितीयक सैलों के प्रयोग से विधुत वाहक बल का उत्पादन किया जा सकता है।

(2) तापीय-संगम के तापन द्वारा (By heating of thermal fusion)- थर्मोकपल जंक्शन को गर्म करके भी विधुत वाहक बल का उत्पादन किया जा सकता है।

(3) विद्युत चुम्बकीय क्रिया द्वारा (By electromagnetic action) - विधुत चुम्बकीय विधि द्वारा भी विधुत वाहक बल का उत्पादन किया जा सकता है।

विधुत वाहक बल को उत्पन्न करने की वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण विधि सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि वैद्युत शक्ति के व्यावसायिक उत्पादन के लिये केवल इसी विधि का प्रयोग बहुतायत किया जाता है।

वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण विधि द्वारा वि.वा. बल को निम्न विधियों द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है 

(अ) विद्युत चालक को स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर वि०वा०बल उत्पन्न किया जाता है जिसे गतितः प्रेरित विधुत वाहक बल कहते हैं। वह सिद्धान्त है जिस पर दिष्ट धारा जनित्र कार्य करता है।

(ब) स्थिर क्षेत्र सामर्थ्य वाले गतिमान या घूर्णी क्षेत्र द्वारा स्थिर चालक को ग्रंथित कराकर चालक में वि०वा०बल (EMF) उत्पन्न किया जाता है । सभी ए०सी० जनित्रों ( प्रत्यावर्तकों ) के लिये प्रयुक्त होती है ।

(स) परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के साथ स्थिर चालक के ग्रंथन द्वारा चालक में वि०वा०बल (EMF) उत्पन्न होता है। इस में चुम्बकीय क्षेत्र के सापेक्ष चालक गतिमान नहीं होता है ।

अतः इस प्रकार उत्पन्न वि०वा०बल को स्थैतिक प्रेरित वि०वा०बल कहते हैं । इस विधि का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुप्रयोग ट्रांसफॉर्मर, प्ररेण कुण्डलियों तथा स्फुलिंगन कुण्डलियाँ में होता है ।

जब कभी किसी चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) में एक धारा वाहक चालक स्थापित किया जाता है तो वह एक यान्त्रिक बल का अनुभव करता है । इस सिद्धान्त पर दिष्ट घारा मोटर कार्य करती है ।

Types Of DC-

दिष्ट धारा मशीनें मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं
(1) दिष्ट धारा जनित्र (DC Generator) या डायनमो (Daynamo) ।
(2) दिष्ट धारा मोटर (DC Motor)
दोनों मशीनों की संरचनायें एक समान होते हैं किन्तु उनके कार्य सिद्धान्त तथा प्रचालन एक - दूसरे के विपरीत होते हैं ।

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