DC Motor Principal In Hindi- जब एक करंट प्रवाहित कंडक्टर (Conductor) को चुंबकीय क्षेत्र
(Magnetic Field) में रखा जाता है, तो यह एक Torque का अनुभव करता है और जिसके कारण यह
घूमने की प्रवृत्ति रखता है। दूसरे शब्दों में जब एक चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) और एक विद्युत
क्षेत्र परस्पर क्रिया करते हैं, तो एक यांत्रिक शक्ति (Mechanical Power) उत्पन्न होती है। डी सी मोटर
(DC Motor) या डायरेक्ट करंट मोटर इसी सिद्धांत पर कार्य करती है। इसे मोटरिंग क्रिया के रूप में
जाना जाता है।
इस
मोटर के घूमने की दिशा फ्लेमिंग (Fleming) के बाएं हाथ (Left Hand) के नियम द्वारा दी गई है,
जिसमें कहा गया है कि यदि आपके बाएं हाथ (Left Hand) की तर्जनी, मध्यमा और अंगूठे को
परस्पर
एक दूसरे परपेंडिकुलर फैलाया जाता है और यदि तर्जनी चुंबकीय
फील्ड की दिशा को दर्शाती है,
मध्य उंगली धारा प्रवाह की दिशा को इंगित
करती है तो अंगूठा उस घुमाव बल की दिशा को दर्शाता है
जो बल डीसी मोटर के
शाफ्ट द्वारा अनुभव किया जाता है।
संरचनात्मक
रूप से और निर्माण वार एक डी.सी. मोटर डी.सी. जनरेटर (DC Generator) के समान
है, लेकिन
विद्युत रूप से यह ठीक विपरीत है। यहां हम एक जनरेटर के विपरीत हम इनपुट
पोर्ट को
विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं और आउटपुट पोर्ट से यांत्रिक
ऊर्जा प्राप्त करते हैं। हम इसे नीचे
दिखाए गए ब्लॉक आरेख द्वारा दर्शा
सकते हैं।
यहाँ एक डीसी मोटर में, सप्लाई वोल्टेज E और करंट I को इलेक्ट्रिकल पोर्ट या इनपुट पोर्ट को दिया
जाता है और हम मैकेनिकल आउटपुट यानि टॉर्क T और स्पीड ω को मैकेनिकल पोर्ट या आउटपुट
पोर्ट से प्राप्त करते हैं।